युवाओं में आसमान छूने वाली प्रतिभा और अत्यधिक छ्मता होती है। और यदि उन्हे सही समय अवशर नही मिला तो उनमे आक्रोश होना बहुत स्वाभाविक है।
आज का युवा क्या चाहता है। उसका दो उद्देश्य हमे नज़र आता है। एक तो वह की जब पढ़ाई पूरा करे तो कम से कम दो व्क्त की रोटी का जुगाड़ हो जाए और उसके बाद अपनी प्रतिभा को समाज के सामने प्रस्तुत कर सके। जिससे देश और समाज का कुछ अच्छा हो सके। इससे उसे काफ़ी सन्तुश्ठी मिलती है। परंतु आज का जो हाल है वहाँ उसको अवसर सही अनुपात मे नही मिल रहा है। कहने का मतलब यह है । की देश में लगभग सात लाख इंजिनियर पैदा हो रहे हैं तो केवल डेढ़ लाख तकनीकी अवशर है। इसके कारण काफ़ी बड़ी संख्या अपनी ज़रूरत को पूरा करने मे असमर्थ है। इसी प्रकार की विषम समस्या लगभग हर युवा के साथ है, चाहे जिस भी विषय से वह संबंध रखता हो। फलस्वरूप उसकी प्रतिभा दबी की दबी रह जा रही है। उसपर इतना भ्रष्टाचार समाज मे है की उसे सॉफ दिखाई दे रही है। इन सभी कारणों से उसके अंदर एक आक्रोश है। यदि उसकी समस्याओं का हल नही निकाला गया तो देश के भविष्य के लिए काफ़ी हानिकारक सिद्ध होगा।
समाज मे समानता, ईमानदारी और सच्चाई को स्थापित और सुध्रिड करने की ज़रूरत है।सभी युवाओं मे विश्वास दिलाने की ज़रूरत है ।और युवाओं को देश के विकाश मे भागीदारी प्रदान करने की आवश्यकता है।नही तो इनका आक्रोश विपरीत समस्याएँ पैदा करेगा जो की हमारे, समाज और देश के लिए अच्छा नही होगा।हम अपने देश की उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए अपने शब्द यहीं पर समाप्त करता हूँ ।जय हिंद.
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