Ghar Me Mehman Aye Hain Unme Se Aap Kiske Saath Jyada Samay Bitaye Usko Samwad ke Roop me likhiye | घर में मेहमान आए है उनमें से आप किसके साथ ज्यादा समय बिताये उसको , संवाद रूप में लिखिए

दृश्य सिमरन के घर का है। सिमरन के घर उसकी पुरानी सहेली शहनाज़ आई है। दोनों ने एक ही कॉलेज से पढाई पूरी की है। सिमरन की शादी ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद ही हो गई, और शहनाज़ ने आगे काम करने की ठान रखी थी; सो उसने ऐसा ही किया। ३ साल बाद आज शहनाज़ की भी शादी हो चुकी है। शहनाज़ शादी के बाद पहली बार अपनी सहेली सिमरन से मिलने उसके घर आई है , अपने देवर की बेटी रुनझुन के साथ। शहनाज़ की शादी उसके पड़ोस के मोहल्ले में ही हुई है , तो वह लगभग हर दूसरे दिन अपने मायके आ जाया करती है। आज रुनझुन को लेकर वो अपनी सहेली के साथ पुरानी यादें ताज़ा करने आई है।

सिमरन : नमस्ते !
शहनाज़ : नमस्ते अज़रा!
सिमरन : कैसी हो? कितने दिनों बाद दर्शन हुए तुम्हारे। कहाँ हो आजकल ? तुम ना , शादी के बाद एकदम ईद का चाँद ही हो गई हो।
शहनाज़ : अरे नहीं अज़रा। दरअसल, शादी के बाद मैं तीसरे दिन ही ऑफिस के काम से बैंगलोर चली गई थी।
हालाँकि ये लम्बा प्रोजेक्ट था , पर मैंने काफी धीरज रखा। तीन महीने बाद आई हूँ वापस।

सिमरन : अच्छा , तो ये बात है ! मोहतरमा को शादी के बाद भी इतनी जल्दी काम पे लगना था। चलो अच्छा है , इसी बहाने कहीं घूम के तो आई। भाईसाहब भी साथ ही गए थे ?

शहनाज़ : नहीं अज़रा। हम दोनों ही काम में व्यस्त हो गए। उनको भी मुंबई में कुछ इम्पोर्टेन्ट मीटिंग्स अटेंड करनी थीं , और काम का बोझ भी कम नहीं था, तो उन्होंने कहा कि जैसे ही मेरा प्रोजेक्ट पूरा होता है, हम साथ में कहीं घूमने जायेंगे। अब जाके तो फ़ुर्सत मिली है। देखते हैं , कुछ दिन अपने नए परिवार के साथ समय बिता लेती हु, फिर तो घूमने जाना ही है।

अज़रा: वाह शहनाज़। मियां -बीवी दोनों को काम से फुर्सत मिली है , ज़रूर जाओ, घूम-फिर के आओ। फिर पता नहीं कब मौका मिले। तुमको अपने प्रोजेक्ट्स से और भाईसाहब को मीटिंग्स से और पता नहीं कब फुर्सत मिलेगी फिर। हम भी शादी के बाद शिमला घूमने गए थे। दो हफ़्तों बाद आये। वो जगह इतना सुकून देती है , कि वापस आने की इच्छा ही नहीं होती है। तुम भी किसी जगह जाओ , जहाँ भीड़-भाड़ से राहत मिले, काम से सुकून, और फिर सबसे अच्छी यादें जुड़ जाये तुम्हारी ज़िन्दगी की डायरी के पन्नो में। सबकुछ यादगार होना चाहिए , ज़िन्दगी तभी और बेहतर लगने लगेगी।

शहनाज़ : हाँ अज़रा। बहुत अच्छी सलाह है। गर्मी का समय चल रहा है,तो हम भी किसी ठंडी जगह घूमना चाहते थे। देखते हैं क्या सलाह होता है , और कहाँ जा पाते हैं। तुम बताओ , तुम्हारे बच्चे कैसे हैं?
शरा स्कूल जाने लगी अब ?
सिमरन : हाँ , शरा ३ महीने से स्कूल जा रही है। मेरी देवरानी की बेटी फातिमा ने भी साथ में ही पढाई शुरू कर दी है। इनकी गर्मी की छुट्टियों का इंतज़ार करना होगा अब तो मायके जाने के लिए भी।
शहनाज़ : हाहा ! सही बात है अज़रा। बच्चों की पढाई शुरू हो गई , बस फिर पूरा समय उन्ही में गुज़रता है। खुद के लिए भी वक़्त नहीं मिल पाता।
सिमरन : हाँ वो तो बिलकुल ठीक बात है। और बच्चों की हंसी -ख़ुशी में ही माँ -बाप की ख़ुशी जुड़ जाती है। ये सबसे ख़ूबसूरत पहलु है। हम कितने निःस्वार्थ हो जाते हैं , और बच्चों से भी कितना ही कुछ सीखते हैं। v शहनाज़ : हाँ सिमरन ! तुमने सच में बहुत महत्वपूर्ण बात कही है। शादी,और बच्चे , हमारे जीवन में कई म्हहत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं। हम कई ज़्यादा ज़िम्मेदार होने लगते हैं , और नया सीखते हैं। मेरा इस सफर में अभी पहला पड़ाव है , पर तुम्हारी बातें सुन कर ये यकीन हो गया है , कि आगे का सफर भी उतना ही खूबसूरत और साथ -साथ चुनौती भरा होगा।
सिमरन : हाँ। और आज के दौर में महिलाओं को दोनों मोर्चे सँभालने होते हैं। घर – काम , दोनों ज़िम्मेदारियाँ जो बखूबी निभा ले, आज के युग में ऐसी महिलाए आकाश चूम रही हैं। मेरी शुभकामनाएं हैं , तुम्हें अपने काम में भी खूब तर्रकी मिले , और तुम्हारा ये नया सफर भी उतना ही रोमांचक और ख़ूबसूरत हो।

शहनाज़ : हाँ अज़रा। मैं तुम्हारे लिए भी ऐसी ही दुआ करती हूँ। ये देखो , हमारे देवर की बेटी रुनझुन , आपके घर में कैसे उधम मचा रही। बहुत शरारती है। मैं पास वाले पार्क में इसे सहेलियों से मिलाने ले जा रही थी। सोंचा तुमसे मिले काफी दिन हो गये हैं , सो मिल आती हूँ। वो तो ससुराल और मायके एकदम नज़दीक है , सो काफी सुकून है। जब चाहे मायके वालों से मिलने आ जाती हूँ। तुम भी आओ एक दिन दावत पर हमारे यहाँ। हम इस हफ्ते यहीं हैं। बुधवार को आ जाओ। अपने ससुराल वालों से मुलाकात करवाएंगे। और हमें बोहोत ख़ुशी होगी हमारी सहेली आएगी तो।
सिमरन : बिलकुल शहनाज़ ! हम आते है फिर बुधवार को तुमसे और तुम्हारे परिवार से मिलने। जाने कब मुलाकात होगी फिर।
शहनाज़ : बिलकुल,और शरा , भाईसाहब और फातिमा को साथ ज़रूर लाना। अभी मैं इस शरारती रुनझुन को थोड़ा घुमा के लाती हूँ , वर्ना ये ऐसे ही उछल -कूद करेगी आपके घर में। चलती हूँ।
सिमरन : अरे नहीं। उधम कैसी ? प्यारी बच्ची है रुनझुन। फिर ज़रूर आना। मिलके अच्छा लगा !
शहनाज़ : जी ज़रूर ! तुमसे भी बुधवार को मुलाकात होगी , आशा करती हूँ। नमस्ते !
सिमरन : बिलकुल मिलेंगे। नमस्ते !